Saturday, 15 June 2013

आज तलक...

आयना को चौराहे पर बच्चों की मदद करते देख तनय बड़ा हैरान था.वक़्त की दीवारों पर पड़े  सुराखों से यादें फिर झाँकने लगी.कुछ पलों बाद यादों की धुंध से बाहर निकलते ही उसने आयना को आवाज़ दी,पर आज भी वो समय की साजिश का शिकार हुआ और नम आँखें लिए फिर से आगे बढ गया.
                      
               धर्मविरुद्ध विवाह करने के कारण कुछ धर्मावलम्बियों की रंजिश का शिकार आयना को होना पड़ा था.विवाह के कुछ समय बाद ही उसके शरीर से सांसें छिन ली गयी.पर तनय आज भी  उस एक चेहरे को हर लम्हे में तलाशता फिरता है.शायद सब कुछ बिखर गया पर वो एक तस्वीर अब भी ख्यालों में कहीं सिमटी है. 
                          
            बस एक ही प्रश्न उसे आज तलक जिन्दा रखे है "क्यों प्यार धर्म का शिकार होता है?प्यार तो दो रूहों का मिलन है,फिर ये धर्म रूपी दीवार क्यों खड़ी हो जाती है?"    

Thursday, 6 June 2013

यादों का पेड़ ....

सड़क किनारे पीपल का एक पेड़, 
हर शाख में याद लिए हुए,
मेरी ही यादों से सींचा हुआ,
मेरी हर गुफ्तगु से रमा वो पेड़.
थोडा झुका सा,
शायद  यादों के बोझ से थक चुका था.
अल सुबह पत्तो की बूंदों  में,
बचपन की सी एक तस्वीर दिखाई देती.
हवा की सरसराहट में गूंजती कुछ 
आवाजें सुनाई देती. 
करवट लेते अरमानो का वो 
सहारा था.
बहुत कुछ बदला सा था,फिर भी था अपना वो पेड़.
कितने ही दशक उसने गर्व से काटे थे,
हर मौसम से लगता उसके गहरे नाते थे.
पर वक़्त की मार से आखिर न बच सका,
कुछ खुदगर्जों का शिकार हुआ वो पेड़.
अब बस एक खाली जगह दिखाई देती है,
परछाई उस पेड़ की मेरे मन में अंगडाई लेती है.
हर सू फैली खुशबू में एक उसकी खुशबू खोजता हूँ,
शायद अपनी यादों में अब,मेरी यादों का पेड़ सोचता हूँ.