आज मेरी एक कहानी लिख
जिंदगी को शब्दों में लिखूं ,
ऐसी एक जिंदगानी लिख.
गुज़रते लम्हों को थाम लूँ हाथों से ,
लम्हों में ऐसी एक रवानी लिख .
कब तक अकेला फिरूं मैं राही,
न सब्र की इतनी जवानी लिख.
दर्द के टुकड़े बिखरे है यूँ ही,
दास्ताँ इनमे एक पुरानीं लिख.
कितने सावन सूखे बीते,
अब बूंद मेरी मस्तानी लिख.
इंतज़ार की घड़ियाँ सारी बीती,
आज रात मेरी सुहानी लिख,
लम्हों के इस दामन में तू
मेरी भी एक कहानी लिख.