आयना को चौराहे पर बच्चों की मदद करते देख तनय बड़ा हैरान था.वक़्त की दीवारों पर पड़े सुराखों से यादें फिर झाँकने लगी.कुछ पलों बाद यादों की धुंध से बाहर निकलते ही उसने आयना को आवाज़ दी,पर आज भी वो समय की साजिश का शिकार हुआ और नम आँखें लिए फिर से आगे बढ गया.
धर्मविरुद्ध विवाह करने के कारण कुछ धर्मावलम्बियों की रंजिश का शिकार आयना को होना पड़ा था.विवाह के कुछ समय बाद ही उसके शरीर से सांसें छिन ली गयी.पर तनय आज भी उस एक चेहरे को हर लम्हे में तलाशता फिरता है.शायद सब कुछ बिखर गया पर वो एक तस्वीर अब भी ख्यालों में कहीं सिमटी है.
बस एक ही प्रश्न उसे आज तलक जिन्दा रखे है "क्यों प्यार धर्म का शिकार होता है?प्यार तो दो रूहों का मिलन है,फिर ये धर्म रूपी दीवार क्यों खड़ी हो जाती है?"
लघुकथा अपना प्रभाव छोडती है ...
ReplyDeleteभाषा पर भी आपकी अच्छी पकड़ है ...!!
वाकई प्यार में धर्म का क्या काम
ReplyDeleteसार्थक बात कही
बेहतरीन
बधाई
हमारी ही बनाई हुई दीवार जो है ... अब हम इससे प्रेम जो करने लगे हैं इंसानियत को छोड़ के ...
ReplyDeleteबात तो सार्थक कही है आपने
ReplyDeleteएक ऐसा प्रश्न जिसका जवाब ...शायद किसी के पास नहीं.....
ReplyDeleteवाह...सुन्दर भावपूर्ण लघुकथा...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteप्रभावशाली ..
ReplyDeleteवाह.सुन्दर प्रभावशाली ,भावपूर्ण लघुकथा.बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteवाह- मन को छूती मार्मिक लघु कथा
ReplyDeleteबहुत खूब --------