Sunday 31 March 2013

तेरी यादें...........

कई बार हम एक दूसरें से चाहते न चाहते हुए अलग तो  हो जाते हैं पर कुछ यादें हमेशा बाकी रह जाती है.
यही हमेशा हमारे साथ घुमा करती हैं.इन्हीं यादों के बीच घुमती हैं मेरी ये पंक्तियाँ.........
















हर दस्तक पर आहट तुम्हारी आज भी हैं,
बुझ चुके है कुछ साज एहसास उनमें आज भी हैं,
तेरी गली न छोड़ पाएंगें हम उस गली में जान हमारी आज भी हैं.

बरसात की कुछ रातें अब भी संभाली हैं,
बौछारों की आवाज़ उनमें आज भी हैं.
कुछ यादें तुम सिरांथे के पास भूल गयी हों,
उन यादों में गेसुओं की सुगंध तुम्हारे आज भी हैं.
कुछ यादों की बूंदें शाखों के पास पड़ी हैं,
उन शाखों को छुअन की आस तुम्हारे आज भी हैं.
थोड़ी यादें संभाले अश्क बैठे हैं,
तस्वीर इन यादों में तुम्हारी आज भी हैं.
इन काफिर यादों का सिलसिला ना थम सकेगा कभी,
कसक यादों में तुम्हे ना भूल पाने की आज भी हैं.

2 comments:

  1. Kisi ke dur ho jaane se,uski yaad hi to hai jiske sahaare hum unhen bahut karib paate hain...
    Badhiya likha h aapne.

    Best of luck :)

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  2. यादें जो कभी भूली नहीं जातीं .... बेहतरीन


    कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...

    वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
    डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो करें ..सेव करें ..बस हो गया .

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