Thursday 30 May 2013

एक कहानी लिख



आज मेरी एक कहानी लिख
जिंदगी को शब्दों में लिखूं ,
ऐसी एक जिंदगानी लिख.
गुज़रते लम्हों को थाम लूँ हाथों से ,
लम्हों में ऐसी एक रवानी लिख .
कब तक अकेला फिरूं मैं राही,
न सब्र की इतनी जवानी लिख.
दर्द के टुकड़े बिखरे है यूँ ही,
दास्ताँ इनमे एक पुरानीं लिख.
कितने सावन सूखे बीते,
अब बूंद मेरी मस्तानी लिख.
इंतज़ार की घड़ियाँ सारी बीती,
आज रात मेरी सुहानी लिख,
लम्हों के इस दामन में तू
मेरी भी एक कहानी लिख.
  

6 comments:

  1. इंतज़ार की घड़ियाँ सारी बीती,
    आज रात मेरी सुहानी लिख,
    लम्हों के इस दामन में तू
    मेरी भी एक कहानी लिख------

    बहुत खूब
    सुंदर


    ब्लॉग का अनुसरण करें
    http://jyoti-khare.blogspot.in

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  2. Kuchh Lamhe..Kuchh Zindagiyan..Kuchh Kahaniyan Kagaj Pr Utar Jaane Ke Baad Bhi Adhuri Hi Rah Jaati Hai.
    Pr Pure Hone Ki Ummid Bhi Sath Hai :)
    Badhiya Likha Hai Aapne...

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  3. वाह ... कमाल की नज़्म है ... जिंदगी से जुडी ...

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  4. बहुत सुन्दर......
    इंतज़ार की घड़ियाँ सारी बीती,
    आज रात मेरी सुहानी लिख,.......

    अनु

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  5. किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।

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  6. आपका ब्लॉग पसंद आया....इस उम्मीद में की आगे भी ऐसे ही रचनाये पड़ने को मिलेंगी.....

    कभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-

    संजय भास्‍कर
    शब्दों की मुस्कुराहट
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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