आज मेरी एक कहानी लिख
जिंदगी को शब्दों में लिखूं ,
ऐसी एक जिंदगानी लिख.
गुज़रते लम्हों को थाम लूँ हाथों से ,
लम्हों में ऐसी एक रवानी लिख .
कब तक अकेला फिरूं मैं राही,
न सब्र की इतनी जवानी लिख.
दर्द के टुकड़े बिखरे है यूँ ही,
दास्ताँ इनमे एक पुरानीं लिख.
कितने सावन सूखे बीते,
अब बूंद मेरी मस्तानी लिख.
इंतज़ार की घड़ियाँ सारी बीती,
आज रात मेरी सुहानी लिख,
लम्हों के इस दामन में तू
मेरी भी एक कहानी लिख.
इंतज़ार की घड़ियाँ सारी बीती,
ReplyDeleteआज रात मेरी सुहानी लिख,
लम्हों के इस दामन में तू
मेरी भी एक कहानी लिख------
बहुत खूब
सुंदर
ब्लॉग का अनुसरण करें
http://jyoti-khare.blogspot.in
Kuchh Lamhe..Kuchh Zindagiyan..Kuchh Kahaniyan Kagaj Pr Utar Jaane Ke Baad Bhi Adhuri Hi Rah Jaati Hai.
ReplyDeletePr Pure Hone Ki Ummid Bhi Sath Hai :)
Badhiya Likha Hai Aapne...
वाह ... कमाल की नज़्म है ... जिंदगी से जुडी ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर......
ReplyDeleteइंतज़ार की घड़ियाँ सारी बीती,
आज रात मेरी सुहानी लिख,.......
अनु
किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।
ReplyDeleteआपका ब्लॉग पसंद आया....इस उम्मीद में की आगे भी ऐसे ही रचनाये पड़ने को मिलेंगी.....
ReplyDeleteकभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
संजय भास्कर
शब्दों की मुस्कुराहट
http://sanjaybhaskar.blogspot.com